किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा है....
जिंदगी में दो मिनट कोई मेरे पास ना बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे है..
कोई तोहफा ना मिला आज तक, • और आज फूल ही फूल दिए जा रहे है....
तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए, और आज कन्धे पे कन्धे दिए जा रहे थे....
दो कदम साथ चलने को तैयार ना था कोई, और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे...
आज पता चला की मौत कितनी हसीन थी, कम्बख़्त हम तो यूँ ही जिंदगी जिये जा रहे थे....