मुझे बताना है तुम्हे कि, अब बदल गया हूँ मैं।
प्यार बेशक आज भी करता हूँ, मगर जताना भूल गया हूँ मै।
गुस्सा आज भी आता है तुम पर लेकिन उस गुस्से को दबाना सीख गया हूँ मैं।
तुमसे बाते करने की आज भी तलब उठती है. मगर उस तलब को अपने अंदर दफन करना सीख गया हूँ मैं।
आज भी तुम्हारी परवाह होती है मगर बेपरवाह होना सीख गया हूँ मैं।
दिल में आज भी दर्द होता है। मगर उस दर्द को छुपा कर मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं।