प्रेरणा वह शब्द, जो जड़ को भी चेतन बना दे।
प्रेरित करे तो, हिमशिखर चुंबित करा दे।
प्रेरणा वह शक्ति , मिट्टी को बदल दे स्वर्ण में।
वह भक्ति, पत्थर को भी देवालय बना दे।
प्रेरणा वह गीत, सुन कायर भी शूरवीर बनता।
वह प्रकाश, प्राची दिशा से फूट पड़ता।
प्रेरणा वह लेखनी, सरिता बहा जो ज्ञान की दे।
वह चांदनी, तापित हृदय को शान्त कर दे।
प्रेरणा सन्देश, कृष्णा ने दिया अर्जुन को था जो।
वह रक्त, दुश्मन को मिला दे धूल में जो।
प्रेरणा वह कीर्ति, जो सारे जहां में फैल जाए।
वह स्फूर्ति, जीवन से नई रचना कराए ।
प्रेरणा वह छंद, जिसमे कोकिला की मिठास हो।
वह मकरंद, जिसमे सुरभि का आभास हो।
प्रेरणा उद्गार, बहता है सरल कोमल हृदय में।
वह मल्हार, सावन लाए जो उजड़े चमन में।
प्रेरणा वह गुरु, जो सफलता में हो सहायक ।
वह उपहार, जीवन गति पकड़े आक्रामक।।