भोली सी सुरत माथे पे चंदा,
देखो चमकता जाए,
सदा समाधि में है मगन कहीं,
भोला नजर ना आए,
जब भक्तो को पडे जरुरत,
खुद को रोक ना पाए !
सागर मंथन के अवसर पर,
शिवजी विष पी जाए,
पीकर विष की गगरी,
भोला नीलकंठ कहलाये,
कोई भी मांगे बुंद तो,
ये सारा सागर दिखलाए
बाबा की निराली छबि
कोई समझ न पाएं🙏🙏