Maa ki mamta

Date: Thu Sep 08, 2022 06:58PM
© Karan Nayak
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                                                    माँ 

 

फिक्र  में बच्चों के कुछ इस तरह भूल जाती है मां , नौजवा होते हुए भी ,  बढी नजर आती है मां । रुह के रिश्ते कि यह गहराई तो देखिए ,  चोट लगती है हमें , और सिसकती  है मां ।  कब जरूरत मेरे बच्चे को हो मेरी इतना सोच कर , सो जाती है उसकी आंखें और जागती रहती है मां ।  पहले बच्चों को खिलाती है , सुकून और चैन से , बाद में जो कुछ बचा ,  खुशी से खाती है मां । एक एक हमले से बच्चों को बचाने के लिए , ढाल बनती है कभी तलवार बन जाती है मां । जिंदगी के सफर में गर्दिशों की धूप में , जब कोई साया नहीं मिलता तो बहुत याद आती है मां । जब कोई परेशानी में घिर जाते हैं हम परदेस में , आंसुओं को पहुंचने ख्वाबों में आ जाती है मां ।  देर हो जाती है घर जाने में अक्सर जब हमें ,  रेत पर हो मछली जैसे ऐसे घबराती है मां । मरते दम गर बच्चे ना आ पाए प्रदेश से ,  अपनी दोनों पुतलियां चौखट पर रख जाती है मां ।  शुक्रिया कभी हो ही नहीं सकता उसका अदा ,  मरते मरते भी दुआ जीने की दे जाती है माँ । 

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