सोने की चिड़िया

Date: Sun Sep 12, 2021 05:28PM
© Chirag Prajapat
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मेरे सोने की चिड़िया

रंगहीन हो गई

सोना लूट गया बाकी

बस चिड़िया रह गयी

ये चिड़िया भी

कहाँ किसी से कम थी

लूट जाने के बाद भी

पुनः उड़ चलने की

झलक थी

बेरंग होने के बाद भी

खुद बढ़ने की उमंग थी

सबकुछ खो गया

फिर भी

कतरा कतरा खोजने की

उसने गज़ब ललक थी

आखिर उसकी कोशिश

रंग लाएगी

ज़िन्दगी फिर रंगीन

हो जाएगी

उड़े रंग

कटे पंख

इनमे भी कभी

जान आएगी

जिस मंज़िल को

चुना है

वो भी कभी

हम नसीब हो जाएगी।

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