दोस्त क्या खुब वफाओं का सिला देते हैं हर नये मोड़ पर एक जख्म नया देते हैं,
तुम से तो खैर घड़ी भर की मुलाकात रही लोग बरसों की रफाकत को भी भुला देते हैं,
मुमकिन नहीं कि धुआँ भी ना हो और दिल भी जले चोट पड़ती है तो पत्थर भी सदा देते हैं,
कौन होता है मुसीबत में किसी का ए दोस्त आग लगती है तो पत्ते भी हवा देते हैं,
जिन पे होता है बहुत दिल का भरोसा जाने क्यों वक्त पड़ने पर वही लोग दगा देते हैं....