चंद्रशेखर आज़ाद 27 फरवरी 1931 के दिन इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने मित्रों से भेट करने गए थे. मुखबिर से सूचना मिलने के बाद ब्रिटिश पुलिस ने आजाद और उनके साथियों को चारो तरफ से घेर लिया और समर्पण करने को कहा. एक लम्बी गोलीबारी के बाद, उन्होंने अपनी बंदूक की अंतिम गोली से खुद को मार दिया क्योंकि उन्होंने जीवित रहते अंग्रेजो के हाथ ना आने की प्रतिज्ञा ली थी. अंग्रेजों ने बिना किसी को खबर दिए उनके शरीर को रसूलाबाद घाट भेजकर अंतिम संस्कार कर दिया.