किसी समय एक जंगल में एक शेर रहता था जो बहुत ही क्रूर और लालची था। वह सभी जानवरों का शिकार कर लेता था और खा जाता है। जंगल में रहने वाला हर जानवर उससे भयभीत था। वे इस बात से चिंतित थे कि कुछ दिनों के बाद इस जंगल में कोई जानवर नहीं बचेगा।
शेर और खरगोश – Hindi Story
शिकार होने और मारे जाने से निराश होकर जानवरो ने एक समाधान निकाला और तय किया कि प्रतिदिन एक जानवर स्वेच्छा से जंगल के राजा के पास भोजन के लिए जायेगा।
शेर इस प्रस्ताव पर सहमत हो गया लेकिन उसने एक शर्त रखी कि जानवर ठीक समय पर अवश्य पहुँच जाये अन्यथा वह सबको मार डालेगा और खा जायेगा। सारे जानवरों ने इसे स्वीकार कर लिया।
अगले दिन से एक जानवर राजा के पास भोजन के लिए भेजा जाने लगा। अब शेर भी बहुत खुश था कि उसे शिकार के लिए भटकना नहीं पड़ता था। इस प्रकार यह क्रम कुछ दिनों तक चलता रहा।
एक दिन राजा के पास जाने की एक खरगोश की बारी आयी। खरगोश के समूहों ने एक बूढ़े खरगोश को भेजा। यह बूढ़ा खरगोश बहुत बुद्धिमान था।
रास्ते में उसने सोचा कि एक तरकीब ढूँढ़नी चाहिए जिससे वह खुद को और दूसरे जानवरों की जान बचा सके। तब उसने जाल को शेर के भय से मुक्त कराने की योजना बनाना शुरू किया।
शेर और खरगोश – Hindi Story
बूढ़े खरगोश ने शेर के पास काफी देर से जाने का निश्चय किया। जितनी ज्यादा वह देर करेगा शेर उतना ही भूखा और क्रोधित होगा। शेर आतुरता से खरगोश की प्रतीक्षा करने लगा।
वह सोचने लगा कि अगर कहीं जानवर अपने बादे से मुकर गये तो वह सारे जानवरों को मार डालेगा। उसने करीब-करीब जंगल में हड़कम्प मचाने का निश्चय कर ही लिया था कि तभी खरगोश पहुँच गया।
और तब तक सूर्यास्त का समय हो चुका था। शेर को बहुत गुस्से में देखकर खरगोश विनती करने लगा, स्वामी मुझे क्षमा करें, मुझे देर हो गयी लेकिन यह मेरी गलती नहीं है।
‘तब किसकी गलती है यहां?’ शेर दहाड़। खरगोश ने उसे एक कहानी सुनायी जिसे उसने चालाकी से रास्ते में सोच लिया था।
जब सारे खरगोश और मैं आपके पास आ रहे थे तभी एक ताकतवर शेर ने हम पर आक्रमण कर दिया। वह सभी खरगोशों को मारकर खा गया और मैं किसी तरह जान बचाकर भाग आया। उसने यह भी कहा स्वामी, कि “वह इस जंगल का राजा है मुझे खेद है, लेकिन उसने आपकी प्रभुता को चुनौती दी है।’ बुद्धिमान खरगोश बोला।
शेर गुस्से में दहाड़ उठा। किसकी हिम्मत हुई कि जो मेरे सामने खड़ा हो सके और इस जंगल का राजा कह सकै? मैं उसकी देखना चाहता हूँ जिसने मुझे चुनौती दी हैं। मुझे उसके पास ले चलो।’ क्रोधित शेर बोला।
खरगोश ने जबाब दिया, “नहीँ स्वामी वह बहुत शक्तिशाली और क्रूर है कृपया आप उसके पास न जायें। मैं आपका कोई अहित नहीं चाहता।’ “चुप रहो, डरपोक खरगोश। मुझे अभी तुरन्त उसके पास ले चलो।’ शेर ने फरमान जारी किया।
अपनी योजना से मन ही मन खुश होता हुआ खरगोशा बोला, ‘स्वामी, मैं आपकी उसके पास ले चलता हूँ। इस प्रकार वह शेर को धीरे-धीरे पास के कुएँ पर ले गया।
“वह इस कुएँ ने रहता है, स्वामी। मैं अब भी आपसे निवेदन करता हूँ कि आप घर लोट चलें। हम लोग उसे जंगल का राजा स्वीकार ही नहीं करेंगी’ खरगोश ने कहा।
खरगोश के शब्दों पर कोई ध्यान न देकर शेर पुन: जोर से दहाड़ा और कुएँ में घूरने लगा। उसने कुएँ में अपनी परछाई देखी जिसे उसने दूसरा शेर समझ लिया। वह पूरी ताकत से दहाड़ा। उसकी प्रतिक्रिया में कुएँ में उसकी परछाई ने भी वैसा ही किया।
तब शेर और जोर से दहाड़ा बदले में पुन: ठीक वैसी ही प्रतिक्रिया हुई। इससे शेर बहुत क्रोधित हो उठा।
वह गुस्से में दूसरे शेर पर आक्रमण करने के लिए कुएँ में कूद गया जहाँ उसकी परछाई के अलावा कुछ नहीं था। उसका सिर कुएँ की तली सै टकराया और वह मर गया।
यह देखकर बूढ़ा खामोश खुशी के मारे उछल पड़ा। वह अपने दोस्तों की और भागा और उसे सारी कहानी बतायी। जंगल के सभी जानवरों ने खरगोश की बुद्धिमत्ता की बहुत तारीफ की और क्रूर शेर की मौत का जश्न मनाया।
शिक्षा: बुद्धिमान, शारीरिक शक्ति वालों’ सं ज्यादा शक्तिशाली होते हैं?