एक बहुत बड़ा पेड़ था. पेड़ पर एक छोटी सी चिड़िया का घोंसला था। चिड़िया के घोसले में उसके दो अंडे थे। चिड़िया रोज सुबह खाना ढूंढने के लिए निकल जाया करती थी और दोपहर में लौट कर अपने अंडों का ख्याल रखती थी।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और उसके अंडे से बच्चे बाहर आ गए। चिड़िया बहुत खुश हुई वह अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थी। चिड़िया अपने बच्चों का खूब अच्छे से ख्याल रखती थी।
1 दिन की बात है चिड़िया रोज की तरह अपने लिए और अपने बच्चों के लिए खाने की तलाश में निकल पड़ी। वह एक छोटे से घर के आंगन में पहुंच गई।
जहां कुछ दाने रखे हुए थे। चिड़िया खाना ढूंढते ढूंढते थक चुकी थी इसीलिए उसने जल्द ही दाने अपने चोंच मैं रख लिए और अपने घोसले की तरफ उड़ान भरने के लिए तैयार ही थी कि उसके ऊपर एक पिंजरा गिरा।
चिड़िया बहुत खुशनसीब थी कि वह पिंजरे में फंसने से बच गई लेकिन उसके एक पाव में गहरी चोट लग गई। चिड़िया ने भगवान को शुक्रिया किया और वह अपने बच्चों के बारे में सोचने लगी।
अपने दर्द को नजरअंदाज करते हुए अपने घोसले की तरफ उड़ गई। घोसले में पहुंचकर उसने अपने बच्चों को खाना खिलाया और खुद बिना खाए सो गई।
समय के साथ उसके पांव की चोट ठीक हो गई। उसके बच्चे भी अब बड़े हो चुके थे और अपना घोंसला बनाने के लिए तैयार थे।चिड़िया अपने बच्चों को देख बहुत खुश थी। और उसके बच्चे भी उससे बहुत प्यार करते थे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की ममता का कोई मोल नहीं लगा सकते। मां अपने बच्चों के लिए अपना दर्द गम सब भूल जाती है। हमें अपनी मां की ममता की कदर करनी चाहिए।