माउंट एवरेस्ट या एवरेस्ट पर्वत तिब्बत की सीमा पर नेपाल में स्थित है. यह दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है. इसके पहले एवरेस्ट पर्वत महालंगुर में स्थित है, यह अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर चीन के क्षेत्र जोकि तिब्बत का एक भाग है में विराजमान है, इसको पहले पीक XV के नाम से जाना जाता था. 1856 में भारत के महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण में एवरेस्ट की ऊँचाई, जोकि 8840 मीटर यानि की 29 हजार 2 फीट तक थी को पहली बार प्रकाशित किया गया. 1850 में कंचनजंघा को सबसे ज्यादा ऊँचा पर्वत माना जाता था, पर अब यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है, इसकी ऊँचाई 8586 मीटर अर्थात 28169 फीट है. इसके आस पास की पर्वत चोटियाँ भी बहुत ऊँची होने की वजह से माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई का पता लगाने में थोड़ी बहुत परेशानी वैज्ञानिकों को हुई.इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
इसकी ऊचाई समुद्र तल से 8848 मीटर की दूरी पर है अर्थात लगभग 29, 029 फीट ऊँचा है.
माउंट एवरेस्ट की पास की पहली चोटी ल्होत्से की ऊँचाई 8516 मीटर अर्थात 27940 फीट है, वही दूसरी चोटी नुपत्से की ऊँचाई 7855 मीटर अर्थात लगभग 27771 फीट है, और तीसरी पर्वत चोटी जिसका नाम चंग्त्से है की ऊँचाई 7580 मीटर यानि की 24870 फीट ऊँची है.
वैज्ञानिको ने अपने एक शोध में पाया है कि इसकी ऊँचाई हर साल 2 सेंटी मीटर बढ़ती जा रही है.
नेपाल में इसको सागरमाथा के नाम से पुकारा जाता है इसका नामकरन 1930 में नेपाल के इतिहासकार बाबु राम आचार्य ने दिया.
चोमोलंगमा के नाम से इसे तिब्बत में जाना जाता है. चोमोलंगमा का अर्थ ब्रह्माण्ड की देवी और सागरमाथा का अर्थ होता है आकाश की देवी. दोनों ही देशों में लोग इस पर्वत चोटी की पूजा करते है.
संस्कृत में एवरेस्ट पर्वत को देवगिरी कहा जाता है. अपनी विशालता की वजह से इसे विश्व का मुकुट भी कहा जाता है.
यह दुनिया के सात अजूबे में से एक अजूबा है.